चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है

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  जयपुर की शाम जब सुनहरे रंगों में ढलने लगती है, तब शहर के शोर से दूर एक ऐसी जगह आपका इंतज़ार कर रही होती है जहाँ राजस्थान अपनी पूरी परंपरा, रंग और मिठास के साथ ज़िंदा दिखाई देता है। यह जगह है चौखी धानी—एक ऐसा गाँव-थीम रेस्टोरेंट जो सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है। Read Also: भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण चौखी धानी के द्वार पर कदम रखते ही मिट्टी की सौंधी खुशबू और लोक संगीत की मधुर धुनें आपका स्वागत करती हैं। चारों ओर मिट्टी की कच्ची दीवारें, रंग-बिरंगे चित्र, लालटेन की रोशनी और देहाती माहौल मिलकर दिल में एक अनोखी गर्माहट भर देते हैं। ऐसा लगता है मानो शहर की तेज़ रफ़्तार से निकलकर आप किसी सुदूर गाँव की शांति में पहुँच गए हों। अंदर थोड़ा और आगे बढ़ते ही लोक कलाकारों की टोलियाँ नजर आती हैं। कोई घूमर की लय पर थिरक रहा है, कोई कालबेलिया की मोहक मुद्राओं में समाया हुआ है। कभी अचानक ही कोई कठपुतली वाला अपनी लकड़ी की गुड़ियों को जीवंत करता दिखाई देता है, तो कहीं बाजे की धुनें आपके

प्रतापगढ़ विलेज थीम रिज़ॉर्ट Haryana — शहर के शोर से दूर देहात की सुकून भरी झलक


दिल्ली और गुरुग्राम से कुछ ही घंटों की दूरी पर बसा यह रिज़ॉर्ट परिवार, दोस्तों और बच्चों के लिए एक परफेक्ट वीकेंड डेस्टिनेशन है। यहाँ पहुँचते ही मिट्टी के घर, चरखी, बैलगाड़ी, ऊँट की सवारी और पारंपरिक हरियाणवी पोशाकों में सजे लोग आपका स्वागत करते हैं।

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रिज़ॉर्ट के भीतर हरियाणवी, पंजाबी और राजस्थानी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। गाँव की चौपाल जैसी जगहों पर लोकनृत्य, रस्साकशी, पिट्ठू, कबड्डी और अन्य देसी खेलों का मज़ा लिया जा सकता है। बच्चे मिट्टी के खिलौने बनाना, बायोगैस प्लांट देखना या बागवानी करना सीखते हैं — जो शहरी जीवन से एक ताज़गी भरा बदलाव लाता है।

यहाँ का देसी खाना इसकी सबसे बड़ी पहचान है — सरसों का साग, मक्के की रोटी, दही, लस्सी, गुड़ और ताज़े देसी घी की महक हर किसी को गाँव के स्वाद

की याद दिला देती है। सुबह का नाश्ता से लेकर दोपहर का भोजन तक सब कुछ पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों में परोसा जाता है।

प्रतापगढ़ विलेज रिज़ॉर्ट न केवल एक मनोरंजन स्थल है, बल्कि यह बच्चों और युवाओं को भारतीय संस्कृति और ग्रामीण जीवन से जोड़ने का एक सुंदर माध्यम भी है। यहाँ आकर आपको एहसास होता है कि असली भारत आज भी अपनी परंपरा, सादगी और मेहमाननवाज़ी में बसा है।

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